Namo Ghat Varanasi | दुनिया का सबसे पुराना शहर | Namo Ghat Banaras | Kashi Ghat - Go via Chopper/Car
नमस्कार दोस्तों , सानुशा चैनल में आपका स्वागत हैं आज की इस वीडियो में हम अपने बनारस यानि काशी नगरी में माँ गंगा के किनारे बसे 84 ऐतिहासिक घाटों के बारे में बारी बारी से आपको विस्तार से बताएंगे उन्हीं 84 घाटों में से एक नमो घाट है। जिसकी स्थापना हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने की है। यह घाट नरेंद्र मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जो अब पूरा हो चुका है। नमो घाट बनाने का दो मुख्य उद्देश्य था, पहला - तीर्थयात्री बिना ट्रैफिक में फंसे काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंच सकें और दूसरा - दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट में भारी पर्यटकों को और भी नई पर्यटक केंद्र मिल सके।
आज हम इसी नमो घाट के बारे में बताएँगे , आगे बढ़ने से पहले आपसे निवेदन है की अगर आपको ये जानकारी रोचक और ज्ञानवर्धक लगे तो हमारे इस वीडियो को लाइक और सानुशा चैनल को subscribe और कमेंट में जय बाबा विश्वनाथ लिखना मत भूलियेगा ,
नमो घाट सूर्य नमस्कार को समर्पित घाट हैं। घाट में भारतीय संस्कृति की "नमस्ते" मुद्रा की 3 मूर्तियां हैं, जो घाट का प्रमुख आकर्षण है। 3 हाथ की मूर्तियों में से एक पुरुष का हाथ, एक स्त्री का हाथ और एक बच्चे का हाथ है।
The ghats on the great Ganga riverfront at Banaras are
unquestionably the city’s most iconic and celebrated image. For thousands of
years these ghats have been the centre for religion, culture, and commerce,
offering an unrivalled panorama for visitors to the city.
You can very easily walk the entire length of the ghats
without interruption, but I would also recommend taking a boat ride on the
Ganga to fully appreciate the ghats from a little further away.
Banaras, Mahadev ki Nagri, often brings very distinct
emotions in so many of us and we are drawn to it for one reason or the other.
For some, it is Mokshadayani or the place to get salvation, for some it is the
city where Buddha gave his first learnings while for some it is the Kashi
Vishwanath template that draws them in.
नमो घाट से पहले इस घाट को खिड़किया घाट के नाम से जाना जाता था। यह घाट पहले सुनसान हुआ करता था और कोई यहां आता जाता नहीं था। उसके बाद 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी में शुरू हुए, दोनो प्रोजेक्ट एक दूसरे से जुड़े हुए थे। पहला प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण और दूसरा ऐसे घाट का निर्माण करना, जिससे देश व विदेश से आए पर्यटक शहर के जाम में फंसे बिना काशी विश्वनाथ मंदिर तक जा सके। इस प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए सभी घाटों में से खिड़किया घाट को चुना गया। यह घाट गंगा और वरुणा नदी के संगम पर स्थित है। खिड़किया घाट, राज घाट (भैसासुर घाट) और आदिकेशव घाट के बीच है और लगभग 21,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में विकसित है। परियोजना "मेक इन इंडिया" और "वोकल फॉर लोकल" की पहल के अनुरूप है।
चकाचौंध से भरा शहर वाराणसी किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यदि आप शांति और आंतरिक शांति को महत्व देते हैं तो यह स्थान सर्वोत्तम है। स्वर्ग के बारे में तो सभी ने सुना है लेकिन अगर आप इसका अनुभव धरती पर करना चाहते हैं तो आपको वाराणसी यानि हमारी काशी नगरी जरूर आना चाहिए। आप यहां विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ले सकते हैं और देवताओं की उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं। ऐसे विभिन्न कारणों से दुनिया भर से पर्यटक वहां आते हैं। वाराणसी में न केवल रहने के लिए, बल्कि हिंदुओं का मानना है कि यदि वे इस पवित्र शहर में मर जाते हैं, तो वे पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त हो जाएंगे।
नमो घाट यानि खिड़किया घाट के बारे में कुछ तथ्य
नमो घाट परियोजना के अंतर्गत घाट में मल्टीपरपज प्लेटफार्म भी है, जहां एक साथ दो हेलीकॉप्टर या चॉपर लैंड कर सकते हैं।
नमो घाट परियोजना के तहत जल मार्ग की व्यवस्था भी की गई है और गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के लिए घाट पर सीएनजी से चलने वाली नावों के लिए एक फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी बनाया गया है। जहां से लोग क्रूज/नाव के जरिए वाराणसी और आस - पास के शहरों तक जा सकते हैं।
नमो घाट, वाराणसी का एक मात्र ऐसा घाट है, जो वायु, जल और थल तीनों मार्ग से जुड़ा हुआ है।
नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत पर्यटक वायु मार्ग से हेलीकॉप्टर या चॉपर के जरिए नमो घाट पर लैंड करेंगे और घाट पर उतरने के बाद पर्यटक सीधा जल मार्ग द्वारा बिना ट्रैफिक में फंसे बाबा विश्वनाथ धाम का दर्शन कर सकेंगे।
यह घाट पूरी तरह से दिव्यांगजन और बुजुर्गो को समर्पित है। विकलांग व्यक्तियों के लिए एक रैंप बनाया गया है, जिससे वह व्हीलचेयर पर बैठकर सीधे मां गंगा का पूजा, पाठ व आचमन आदि कर सकते हैं। रैंप में बाथिंग कुंड भी है, जिसमे वृद्ध और दिव्यांगजन भी आसानी से गंगा स्नान कर सकेंगे।
नमो घाट से आप काशी विश्वनाथ मंदिर का टिकट भी ले सकते हैं।
घाट के दीवारों में वाराणसी की संस्कृति को कलाकृति द्वारा दर्शाया गया है।
घाट पर वाहन के पार्किंग की सुविधा भी है, जो वाराणसी के अन्य घाट में नहीं है।
घाट में पर्यटक सुबह - ए - बनारस का नजारा, वाटर एडवेंचर, योग और संध्या की आरती भी देख सकेंगे।
घाट में आकर्षण बनावट, जेटी, फूड प्लाजा, ओपन थिएटर, लाइब्रेरी, मल्टीपर्पज मंच, वॉक वे, योगा स्थल, चिल्ड्रन प्ले एरिया, सेल्फी प्वाइंट, आरओ प्लांट, हैंडीक्राफ्ट मार्केट भी है।
मां गंगा को प्रदूषणयुक्त बनाए रखने के लिए घाट पर विसर्जन कुंड का निर्माण भी किया गया है, जहां लोग पूजा पाठ के समान, देवताओं पर चढ़ाए गए माला फूल, पुरानी मूर्तियां इत्यादि विसर्जित कर सकते हैं।
यह घाट बाढ़ आने पर भी सुरक्षित रहेगा।
विविधता भारतीय शहरों
की पहचान है।
भारत के प्रत्येक
शहर में परंपरा
और संस्कृति के
मामले में कुछ अनोखा है
और देश का सबसे पुराना
शहर वाराणसी भी
ऐसा ही है। वाराणसी वास्तव में
पूरी दुनिया के
सबसे पुराने जीवित
शहरों में से एक है।
शहर की पुरानी
दुनिया या पुराना
आकर्षण हर किसी के लिए
अभी भी जीवित
है। सबसे पुराना
शहर होने के अलावा, वाराणसी,
जिसे पहले बनारस
के नाम से जाना जाता
था, भारत के सात पवित्र
शहरों में से एक भी
है। यह हिंदुओं
के लिए एक पवित्र शहर
है, जिनकी दृढ़
मान्यता है कि जो व्यक्ति
वाराणसी की मिट्टी
में मरता है,
उसे मोक्ष मिलता
है और वह सीधे स्वर्ग
जाता है। इसके
अलावा, जो व्यक्ति
वाराणसी में मरने
के लिए इतना
भाग्यशाली नहीं है,
उसके रिश्तेदार पवित्रतम
नदी गंगा में
विसर्जित करने के
लिए अस्थियाँ लाते
हैं। वाराणसी के
घाटों को इसलिए
भी पवित्र माना
जाता है क्योंकि
यहां धार्मिक अनुष्ठान
और अंतिम संस्कार
किए जाते हैं।
वाराणसी में घाट या नदी-तट वाराणसी
के लोगों के
जीवन का अनिवार्य
हिस्सा हैं क्योंकि
यहां विभिन्न धार्मिक
अनुष्ठान किए जाते
हैं। घाटों का
राजसी वैभव अद्वितीय
है। गंगा से संबंधित विविध गतिविधियाँ
घाट की मुख्य
विशेषता हैं। दुनिया
भर से श्रद्धालु
हिंदू धार्मिक पूजा
करने के लिए वाराणसी आते रहते
हैं। साधु-संन्यासी
प्रतिदिन वाराणसी के घाटों
पर एकत्र होते
हैं और कई धार्मिक अनुष्ठान और
आध्यात्मिक अभ्यास करते
हैं। भोर के समय, संत
समुदाय को 'माँ'
और देवी मानी
जाने वाली पवित्र
नदी गंगा में
पवित्र डुबकी लगाते
और पूजा करते
देखना निश्चित रूप
से एक आकर्षक
दृश्य है। हिंदू
धर्म और संस्कृति
के असंख्य विदेशी
पहलुओं का अनुभव
करने के लिए दुनिया भर
से पर्यटक वाराणसी
आते हैं। वे पूरे शहर
में एक तरह से हिप्पी
आभा पैदा करते
हैं।
SANUSHAA's team went on a journey to unfold Banaras and
bring to your soul stories from the city. We spoke to Sadhus and the Boatmen on
the Ghats, the historians and librarians of the city, the common folks who have
made the city their own home and indulged ourselves in the soulful food of
Banaras.
However, we had to start our narration of Banaras with the
one thing that signifies the ties of the city with life and death itself - the
Ghats of Banaras. Get to know why the city is called Mahadev ki Nagri, what do
people feel and believe life and death is in Banaras and what does it feel like
to be present at ghats of varanasi.
Every Ghat of Banaras has its own unique personality, from
the bustling Dashashwamedh Ghat, where the grand Ganga Aarti enchants all who
witness it, to the tranquil Assi Ghat, where one can reflect in solitude, or
the Manikarnika Ghat where the bodies of the deceased are burnt. Whether you're
a seeker of spirituality, an admirer of architectural marvels, or simply a
traveler in search of the authentic essence of India, Banaras Ghats offer an
unforgettable experience.
Ganga flows ceaselessly here, an eternal witness to the
passage of time and the cycle of life. The Ghats of Varanasi, with their
timeless charm, stand as a testament to the resilience of traditions and the
enduring power of faith. To visit the Banaras Ghats is to embark on a journey
not just through space but through the very soul of India itself.
महादेव की नगरी
बनारस अक्सर हममें
से कई लोगों
के मन में बहुत अलग
भावनाएं लेकर आता
है और हम किसी न
किसी कारण से इसकी ओर
आकर्षित होते हैं।
कुछ के लिए, यह मोक्षदायनी
या मोक्ष प्राप्त
करने का स्थान
है, कुछ के लिए यह
वह शहर है जहां बुद्ध
ने अपनी पहली
शिक्षा दी थी, जबकि कुछ
के लिए यह काशी विश्वनाथ
टेम्पलेट है जो
उन्हें अपनी ओर खींचता है।
SANUSHAA की टीम बनारस
को उजागर करने
और शहर से आत्मा की
कहानियाँ आपके सामने
लाने की यात्रा
पर निकली। हमने
घाट पर साधुओं
और नाविकों, शहर
के इतिहासकारों और
पुस्तकालयाध्यक्षों, आम लोगों
से बात की जिन्होंने शहर को अपना घर
बना लिया है और बनारस
के भावपूर्ण भोजन
का लुत्फ उठाया
है।
हालाँकि, हमें बनारस
के बारे में
अपना वर्णन उस
एक चीज़ से शुरू करना
था जो शहर के जीवन
और मृत्यु के
साथ संबंधों को
दर्शाती है - बनारस
के घाट। जानें
कि इस शहर को महादेव
की नगरी क्यों
कहा जाता है,
लोग बनारस में
क्या महसूस करते
हैं और मानते
हैं कि जीवन और मृत्यु
क्या है और मणिकर्णिका में उपस्थित
होना कैसा लगता
है।
बनारस के हर
घाट का अपना अनूठा व्यक्तित्व
है, भीड़-भाड़
वाले दशाश्वमेध घाट
से लेकर, जहां
भव्य गंगा आरती
देखने वाले सभी
लोगों को मंत्रमुग्ध
कर देती है,
शांत अस्सी घाट
तक, जहां कोई
एकांत में चिंतन
कर सकता है,
या मणिकर्णिका घाट
जहां मृतकों के
शव रखे जाते
हैं जला दिए जाते हैं.
चाहे आप आध्यात्मिकता
के साधक हों,
वास्तुशिल्प चमत्कारों के प्रशंसक
हों, या बस भारत के
प्रामाणिक सार की
खोज में एक यात्री हों,
बनारस के घाट एक अविस्मरणीय
अनुभव प्रदान करते
हैं।
गंगा यहाँ अविरल
बहती है, जो समय बीतने
और जीवन चक्र
की शाश्वत साक्षी
है। वाराणसी के
घाट, अपने शाश्वत
आकर्षण के साथ, परंपराओं के लचीलेपन
और आस्था की
स्थायी शक्ति के
प्रमाण के रूप में खड़े
हैं। बनारस के
घाटों की यात्रा
करना न केवल अंतरिक्ष के माध्यम
से बल्कि भारत
की आत्मा के
माध्यम से यात्रा
शुरू करना है।
हम यह यात्रा,
यह अनुभव आपके
लिए लेकर आये
हैं।
काशी कहो, बनारस
कहो या वाराणसी
कहो, हर नाम में सुंदरता
सी झलकती है
और बुद्ध से
भी पहले का इतिहास झलकता
है।धुंधली सी वो
छवि और रहस्मयी
सी वो सुबह,
गंगा के हर तट पर
एक अलग ही सुकून दे
जाती है। आँखों
को भा जाने वाली और
अंतरात्मा को छू
देने वाली इन सुन्दर वादियां
कैसे कोई पसंद
ना करे।
दोस्तों, आज के इस वीडियो में हमने आपको अपने बनारस के प्रसिद्ध घाट नमो घाट के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है। हमें आशा है, कि आज का यह वीडियो आपकी अगली काशी की नमो घाट की यात्रा को सुलभ बनाने में आपकी मदद करेगा। इस वीडियो से सम्बंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं और वीडियो को लाइक और सब्सक्राइब करना ना भूले। नमस्कार
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