Skip to main content

Adi Keshava Ghat Varanasi

नमस्कार दोस्तों , आज के इस ब्लॉग में हम अपने भगवान शिव की नगरी बनारस यानि काशी नगरी में काशी में गंगा के उत्तर वाहिनी होने से घाटों की अर्ध चंद्राकार कतार इसे काशी के चंद्रहार की तरह शोभायमान बना देता है, माँ गंगा के किनारे बसे 84 ऐतिहासिक घाटों में सबसे पुराना और बनारस का पहला घाट के बारे में बारी बारी से आपको विस्तार से बताएंगे वाराणसी में घूमने के लिए ऐतिहासिक स्थानों में से एक अदि केशव  घाट है,


ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की आज्ञा से विष्णु जी जब सर्वप्रथम काशी में आये तो वह इसी घाट पर पधारे थे उन्होंने स्वयं की प्रतिमा इस घाट पर प्रतिस्थापित किया। वर्तमान में यह प्रतिमा आदिकेशव मंदिर में स्थापित है। जिसके कारण ही घाट का नाम आदिकेशव घाट पड़ा गंगा एवं वरूणा के संगम स्थल पर स्थित होने से इसे गंगा-वरूणा संगम घाट भी कहते हैं। घाट पर आदि केशव के अतिरिक्त ज्ञान केशव, संगमेश्वर शिव चिन्ताहरण गणेश, पंचदेवता एवं एक अन्य शिव मंदिर स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि संगमेश्वर शिवलिंग की स्थापना स्वयं ब्रह्मा ने की है। मत्यस्यपुराण के अनुसार इस घाट को काशी के प्रमुख पांच घाट तीर्थो में स्थान प्राप्त है एवं काशी का प्रथम विष्णु तीर्थ माना जाता है। इस संदर्भ में मान्यता है कि विष्णु जी जब काशी में पधारे तो इसी गंगातट पर अपने पैर धोये। 

आदि का अर्थ है "उत्पत्ति" और केशव शब्द भगवान विष्णु का एक रूप है। यह मंदिर काशी के प्राचीन मंदिरों में से एक है।




ग्यारहवीं सदी में गढ़वाल वंश के राजाओं ने आदिकेशव मंदिर व घाट का निर्माण कराया था। मान्यता है कि ब्रह्मालोक निवासी देवदास को शर्त के अनुसार ब्रह्मा जी ने काशी की राजगद्दी सौंप दिया और देवताओं को मंदराचल पर्वत जाना पड़ा। शिवजी इससे बहुत व्यथित हुये क्योंकि काशी उनको बहुत प्यारी थी। तमाम देवताओं को उन्होंने काशी भेजा ताकि वापस उन्हें मिल जाय लेकिन जो देवता यहां आते यहीं रह जाते। अखिर हारकर उन्होंने भगवान विष्णु और लक्ष्मी से अपना दर्द बताया और उन्हें काशी वापस दिलाने का अनुरोध किया। 



लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु काशी में वरुणा व गंगा के संगम तट पर आये। यहां विष्णु जी के पैर पड़ने से इस जगह को विष्णु पादोदक के नाम से भी जाना जाता है। यहीं पर स्नान करने के उपरान्त विष्णु जी ने तैलेक्य व्यापनी मूर्ति को समाहित करते हुये एक काले रंग के पत्थर की अपनी आकृति की मूर्ति स्थापना की और उसका नाम आदि केशव रखा। उसके बाद ब्रह्मालोक में देवदास के पास गये और उसको शिवलोक भेजा और शिवजी को काशी नगरी वापस दिलायी। कहा- अविमुक्त अमृतक्षेत्रेये अर्चनत्यादि केशवं ते मृतत्वं भजंत्यो सर्व दु:ख विवर्जितां, अर्थात अमृत स्वरूप अवमुक्त क्षेत्र काशी में जो भी हमारे आदि केशव रुप का पूजन करेगा वह सभी दु:खों से रहित होकर अमृत पद को प्राप्त होगा। 

आदि केशव घाट वाराणसी,
आदि केशव घाट बनारस,
आदि केशव घाट काशी,
आदि केशव मंदिर,
आदि केशव मंदिर वाराणसी,
आदिकेशव घाट वाराणसी,
आदिकेशव घाट बनारस,
आदिकेशव घाट काशी,
आदिकेशव मंदिर,
आदिकेशव मंदिर वाराणसी,
वाराणसी का सबसे पुराना मंदिर,
वाराणसी का सबसे पुराना मंदिर,
वरुणा गंगा संगम घाट,
वरुणा गंगा संगम घाट वाराणसी,
वरुणा गंगा संगम,
गंगा वरुणा संगम घाट,
वाराणसी का सबसे पुराना मंदिर आदि केशव,
आदि केशव मंदिर वाराणसी,
वाराणसी का सबसे पुराना गंगा घाट,
काशी का सबसे पुराना घाट,
आदिकेशव घाट वाराणसी,
खिड़किया घाट से आदि केशव घाट,
आदिकेशवा घाट वाराणसी,
वाराणसी में भगवान विष्णु का मंदिर,
आदि केशव विष्णु मंदिर वाराणसी,
वाराणसी का आखिरी घाट

Comments

Popular posts from this blog

How can I unlock my Godrej digital locker if I forgot my password?

How can I unlock my Godrej digital locker if I forgot my password? अगर मैं अपना पासवर्ड भूल गया तो मैं अपना गोदरेज डिजिटल लॉकर कैसे खोल सकता हूं? Godrej Safe NX 25 Liter locker can be mostly used to keep laptops and other valuable things and it is available in Ivory and Ebony Colour. we are briefing about Godrej Locker. गोदरेज इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षित लॉकर NXpro 25 लिटर सेफ्टी लॉकर को कैसे संचालित किया जाए? गोदरेज सेफ एनएक्स 25 लिटर लॉकर का इस्तेमाल ज्यादातर लैपटॉप और अन्य मूल्यवान चीजों को रखने के लिए किया जा सकता है और यह आइवरी और एबोनी कलर में उपलब्ध है। हम गोदरेज लॉकर के बारे में जानकारी दे रहे हैं। In today’s digital age, security has kept pace. Godrej NX Pro Digi Home Lockers are designed for both, business and home use, they always provide strong security for your valuables. The Digi lock Protects valuables with a unique 4 to 6-digit password. To add, it has a non – volatile memory that remembers the password even when the batteries are replaced. The safe is smart enough to free...

मनुष्य के शरीर का कौन सा अंग रात होते ही बड़ा हो जाता है?

शरीर में ' आंख की पलक ' एक ऐसा अंग है जोसोने के बाद बड़ा होता है। मनुष्य की आंखों की रेटीना एक ऐसा अंग है जो रात के समय बड़ी हो जाती हैं ।

शरीर का कौन सा अंग आग में नहीं जलता?

शरीर में दांत वो हिस्सा होते हैं , जो आग में नहीं जलते हैं . चिता जल जाने के बाद जब अस्थियां इकट्ठी की जाती हैं , तो वहां दांत भी मिलते हैं . आग का इनपर मामूली असर ही होता है . दांत इंसानी शरीर का सबसे अविनाशी घटक माना जाता है .